Lyrics

मेरे मुजस्सिम इश्क़ की, यारों, की है बुराई लोगों ने मेरे मुजस्सिम इश्क़ की, यारों, की है बुराई लोगों ने कुछ तुमने बदनाम किया, कुछ आग लगाई लोगों ने मेरे मुजस्सिम इश्क़ की, यारों, की है बुराई लोगों ने मेरे मुजस्सिम... मेरे सजदे जिनके लिए थे वो नक़्श-ए-पा उनके थे मेरे सजदे जिनके लिए थे वो नक़्श-ए-पा उनके थे मेरे मरासिम कुछ थे उनसे... मेरे मरासिम कुछ थे उनसे, कुछ बात उड़ाई लोगों ने मेरे मुजस्सिम... मेरे, उनके दरमियाँ, यारों, मसला दो लफ़्ज़ों का था मेरे, उनके दरमियाँ, यारों, मसला दो लफ़्ज़ों का था हिज्र की ऊँची, हिज्र की ऊँची, हिज्र की ऊँची... हिज्र की ऊँची दीवार उठाई लोगों ने मेरे मुजस्सिम... कहने को तो आश्ना थे सब, पर बातों में रंजिश थी कहने को तो आश्ना थे सब, पर बातों में रंजिश थी जिस दिन मेरा क़त्ल हुआ तो... जिस दिन मेरा क़त्ल हुआ तो ईद मनाई लोगों ने मेरे मुजस्सिम इश्क़ की, यारों, की है बुराई लोगों ने कुछ तुमने बदनाम किया, कुछ आग लगाई लोगों ने मेरे मुजस्सिम इश्क़ की, यारों, की है बुराई लोगों ने मेरे मुजस्सिम...
Writer(s): Sawan Kumar Sawan Lyrics powered by www.musixmatch.com
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