Lyrics

रोज़-रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले रात भर काजल जले आँख में जिस तरह ख़्वाब का दीया जले हो, रोज़-रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले रात भर काजल जले आँख में जिस तरह ख़्वाब का दीया जले हो, रोज़-रोज़ आँखों तले... जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ लगाई है मीठा सा ग़म है और मीठी सी तनहाई है जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ लगाई है मीठा सा ग़म है और मीठी सी तनहाई है हो, रोज़-रोज़ आँखों तले एक ही सपना चले रात भर काजल जले आँख में जिस तरह ख़ाब का दीया जले हो, रोज़-रोज़ आँखों तले... हो, आँखों पर कुछ ऐसे तुमने ज़ुल्फ़ गिरा दी है बेचारे से कुछ ख़्वाबों की नींद उड़ा दी है Hmm, आँखों पर कुछ ऐसे तुमने ज़ुल्फ़ गिरा दी है बेचारे से कुछ ख़्वाबों की नींद उड़ा दी है हो, रोज़-रोज़ आँखों तले...
Writer(s): Gulzar, Rahul Dev Burman Lyrics powered by www.musixmatch.com
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