Lyrics

परबत से काली घटा टकराई पानी ने कैसी ये आग लगाई? परबत से काली घटा टकराई पानी ने कैसी ये आग लगाई? हाए, आग लगाई दिल देने दिल लेने की रुत आई परबत से काली घटा टकराई पानी ने कैसी ये आग लगाई? फिर, आग लगाई हाए, आग लगाई मारी शरम के मैं तो सिमट गई चुनरी मेरी मुझसे लिपट गई मारी शरम के मैं तो सिमट गई चुनरी मेरी मुझसे लिपट गई ऐसे में तूने जो ली अंगड़ाई ऐसे में तूने जो ली अंगड़ाई हाए, आग लगाई दिल देने दिल लेने की रुत आई परबत से काली घटा टकराई पानी ने कैसी ये आग लगाई? फिर, आग लगाई हाए, आग लगाई मस्ती में आ के मैं झूम लूँगा रोक मुझे मैं तुम्हें चूम लूँगा हो, मस्ती में आ के मैं झूम लूँगी रोको मुझे मैं तुम्हें चूम लूँगी मस्ती में आ के मैं झूम लूँगी रोको मुझे मैं तुम्हें चूम लूँगी हो, मस्ती में आ के मैं झूम लूँगा रोक मुझे मैं तुम्हें चूम लूँगा छेड़ो ना मुझको यूँ छोड़ो कलाई छेड़ो ना मुझको यूँ छोड़ो कलाई आग लगाई दिल देने दिल लेने की रुत आई परबत से काली घटा टकराई पानी ने कैसी ये आग लगाई? परबत से काली घटा टकराई पानी ने कैसी ये आग लगाई? आग लगाई दिल देने दिल लेने की रुत आई
Writer(s): Shiv Hari, Anand Bakshi Lyrics powered by www.musixmatch.com
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