Lyrics

हो उमड़-घुमड़ कर आई रे घटा कारे-कारे बदरा की छाई-छाई रे घटा जब सनन पवन को लगा तीर बादल को चीर निकला रे नीर झर-झर झर-झर अब धार झरे ओ धरती जल से माँग भरे ओ उमड़-घुमड़ कर ... नन्हीं-नन्हीं बूँदनियों की खनन-खनन खन खन्जरी बजाती आई बजाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया छुक-छुक छुक-छुक सैंया आज डारूँ तोरे गलवा में बैंया मैं तो नाचूँ तेरे संग-संग सैंया हो सैंया हो सैंया हो सावन का सन्देसा लेकर निकली जोगन घर से जो कोई इसके प्यार को तरसे वहीं नवेली बरसे कारे-कारे बादरवा की झनन-झनन झन झाँझरी बजाती आई है देखो भाई बरखा दुल्हनिया हो उमड़-घुमड़ कर ... मीठी-मीठी मस्त पवन की सनन-सनन सन बाँसुरी बजाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया हरी-हरी चुनरी साजे कलियों का कँगना बाजे देख के अपनी बरखा रानी की मीठी मुस्कान रे सावन के दूल्हे की चमक उठी शान रे गोरी-गोरी बिजुरिया की चमक-चमक चम पंखड़ी चमकाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया हो उमड़-घुमड़ कर ... रंग-बिरंगी झोली भरके भरन-भरन भण्डार रे लुटाती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया धरती ने गठरी खोली भरी-भरी अपनी झोली अनमोली भैया खेलो-खेलो ख़ुशियों की होली हो होली हो होली धन-धन हमरी धरती सबके जीवन के ये अधूरे सपने पूरे करती देखो-देखो घर-घर हमारे लहर-लहर आनन्द की लहराती आई देखो भाई बरखा दुल्हनिया हो उमड़-घुमड़ कर ...
Writer(s): Bharat Vyas, Vasant Shantaram Desai Lyrics powered by www.musixmatch.com
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