Lyrics

जीवन के मालिक, ये जीवन तेरे बिन बता तो सही राम कैसे चलेगा जीवन के मालिक, ये जीवन तेरे बिन बता तो सही राम कैसे चलेगा जीवन के मालिक... मेरी भावनाएँ नदी की है धारा रुकना है मुश्किल बहा जा रहा हूँ हैं अनगिन शिलाएं, मेरे रास्ते में मैं टकरा रहा हूँ, मगर गा रहा हूँ ये भटकन नदी की कहाँ खत्म होगी जो तेरी कृपा का ना सागर मिलेगा जीवन के मालिक... दीनों के मन की व्यथा सुनने वाले तू बैठा है अपने गुणों को छुपाए बिछड़ कर तेरे से भटकता है कोई ना तुझको कभी भी ये चिंता सताए ये जग क्या है तू भी चकित देखना जब मेरे अवगुणों का खज़ाना खुलेगा जीवन के मालिक, ये जीवन तेरे बिन बता तो सही राम कैसे चलेगा जीवन के मालिक...
Writer(s): Raghav Kaushal, Sharma Ramanand Lyrics powered by www.musixmatch.com
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