Top Songs By Mohammed Aziz
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Credits
PERFORMING ARTISTS
Mohammed Aziz
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Anu Malik
Composer
Dilip Tahir
Songwriter
Lyrics
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
दौलत उसे मिल भी गई तो क्या ग़ज़ब हुआ
दौलत उसे मिल भी गई तो क्या ग़ज़ब हुआ
वो कितना कामयाब है क़ुदरत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
दौलत उसे मिल भी गई तो क्या ग़ज़ब हुआ
वो कितना कामयाब है क़ुदरत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
ये जुर्म की ऐसी दुनिया है, जहाँ तूफ़ानों में साहिल है
इस चक्रव्यूह में जो आया, फिर बाहर जाना मुश्किल है
है उसकी जान हथेली पर और आँखों में उसका दिल है
सच पूछो तो, दुनिया वालों, वो ख़ुद ही अपना क़ातिल है
वो ख़ुद ही खड़ा है, ओ-ओ-ओ
वो ख़ुद ही खड़ा है अपनी ही मय्यत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
ये दौलत कैसी दौलत है कि घर वालों से दूरी है
माँ की अर्थी उठने को है और मिलने से मजबूरी है
अब क्यूँ आँखों में हैं आँसू? पछताने से क्या होता है?
पहले भी नज़र तो थी तेरी, अब क्यूँ तक़दीर पे रोता है?
ले ज़िंदगी-भर, ओ-ओ-ओ
ले ज़िंदगी-भर सोच तू क़िस्मत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
दौलत की लालच ने आख़िर ये कैसा वक़्त दिखाया है
भाई बहन की शादी में लो भेस बदल कर आया है
यूँ नामचीन बनने से तो अच्छा है, दौलत ना होती
ये आना भी क्या आना है, कहने को फ़र्ज़ निभाया है
दौलत है क्या, ओ-ओ-ओ
दौलत है क्या एक बहन की चाहत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
दौलत उसे मिल भी गई तो क्या ग़ज़ब हुआ
दौलत उसे मिल भी गई तो क्या ग़ज़ब हुआ
वो कितना कामयाब है क़ुदरत के सामने
इंसान कितना गिर गया दौलत के सामने
अपनों को भूल बैठा है शोहरत के सामने
Writer(s): Anu Malik, Dilip Tahir
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