Lyrics

करम नहीं मिटता, धरम नहीं बिकता हज़ारों अड़चनें हों बढ़ो रे, जगाओ कण-कण को हँसाओ जन-मन को, बढ़ो रे, हो, बढ़ो रे हो, करम नहीं मिटता, धरम नहीं बिकता मशाल बनकर तू अँधेरी राहों को उजाला देता जा, उजाला मिटा दे हस्ती जो वो पहुँचे मंज़िल को, बढ़ो रे, हो, बढ़ो रे हो, करम नहीं मिटता, धरम नहीं बिकता नया इक मज़हब हो बना ले जग ऐसा नई इक दुनिया हो दीवाने, वतन की पूजा हो प्रजा ही राजा हो बढ़ो रे, हो, बढ़ो रे हो, करम नहीं मिटता, धरम नहीं बिकता ओ, करम नहीं मिटता, हो, धरम नहीं बिकता, हो-हो
Writer(s): Kewal, Satyam Lyrics powered by www.musixmatch.com
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