Lyrics

था अँधेरा छाया हुआ थीं दिशाएँ सुनसान था अँधेरा छाया हुआ थीं दिशाएँ सुनसान ना सृष्टि थी, ना जीवन था ना देह थी, ना प्राण अकेला था पुरुष (ॐ) अकेला था पुरुष परब्रह्म पूर्ण काम इच्छा हुई इस पुरुष को एकोहं बहुस्याम (ॐ) एकोहं बहुस्याम (ॐ) एकोहं बहुस्याम (ॐ) एक से अनेक होने का सतत चिंतन हुआ निज प्रकृति को पुकारा और शुन्य में स्पंदन हुआ हाँ, नर-नारी के मिलन से झूम उठा संसार नया फूल जग में खिला, मिला दिव्य उपहार
Writer(s): Bharat Vyas, Vasant Shantaram Desai Lyrics powered by www.musixmatch.com
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