Lyrics

आवारगी, आवारगी, आवारगी आवारगी हमारी, प्यारी सी थी कभी जो वही आज हमको रुलाने लगी है जो भरती थी दिल में तरंगें हमेशा वही आज जी को जलाने लगी है आवारगी हमारी... ना कोई ग़म, ना गिला ना कोई शुगह का निशाँ ना कोई ग़म, ना गिला ना कोई शुगह का निशाँ पाई थी हर खुशी, हर सुकूँ हमको था नगमें थे बहारों के, तरन्नुम हर कहीं फिर भी क्यूँ हम भटका किए, ये तू ही बता आवारगी, आवारगी आवारगी हमारी, प्यारी सी थी कभी जो वही आज हमको रुलाने लगी है आवारगी हमारी... खामोशियाँ हैं हर तरफ़ तनहाईयाँ हैं हर तरफ़ खामोशियाँ हैं हर तरफ़ तनहाईयाँ हैं हर तरफ़ यादों के भँवर से अब कैसे निकलें? साथी ना रहा कोई, ना कोई हमसफ़र ज़िंदगी के सफ़े पर लिखने को है अब तो बस आवारगी, आवारगी आवारगी हमारी, प्यारी सी थी कभी जो वही आज हमको रुलाने लगी है जो भरती थी दिल में तरंगें हमेशा वही आज जी को जलाने लगी है आवारगी हमारी...
Writer(s): Raghunath Seth, Vinod Pande, Pande Vinod Lyrics powered by www.musixmatch.com
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