Lyrics

ग़फ़लत में सोने वालों, रब ने तुम्हें पुकारा उठकर ज़रा तो देखो, क़ुदरत का ये नज़ारा रहमत का उजाला छाया अल्लाह ने ये फ़रमाया उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया ख़ुदा मोमिनों पर फ़िदा हो रहा है मगर, तू अभी बे-ख़बर सो रहा है घड़ी ये मुक़द्दस, तू क्यूँ खो रहा है? घड़ी ये मुक़द्दस, तू क्यूँ खो रहा है? हैं सारे नमाज़ी जागे रहमत भी खड़ी है आगे उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया के है फ़र्ज़ रोज़ा यहाँ हर बशर पर क़यामत के दिन अपने दामन में भर कर ये ही नेकियाँ सबको जाना है लेकर ये बरकत की रातें, ये दिन हैं मुनव्वर ख़ुदा आज रहमत लुटाता है घर-घर हुआ बंद, देखो, गुनाहों का दफ़्तर बिछा दी फ़रिश्तों ने रहमत की चादर बिछा दी फ़रिश्तों ने रहमत की चादर क़ुरआन के ३० ये पारे रमज़ान में रब ने उतारे उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया गुनाहों से तौबा तू कर ले, ख़ुदा-रा वो रज़्ज़ाक़ है, बेकसों का सहारा नहीं उसकी रहमत का कोई किनारा नहीं उसकी रहमत का कोई किनारा ईमान को कर लो ताज़ा रहमत का खुला दरवाज़ा उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया रहमत का उजाला छाया अल्लाह ने ये फ़रमाया उठो, ऐ मोमिनों, माह-ए-रमज़ान आया ...माह-ए-रमज़ान आया
Writer(s): Aish Kanwal, Jitin Shyam Lyrics powered by www.musixmatch.com
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