Lyrics

एक है अपनी ज़मीं, एक है अपना गगन एक है अपना जहाँ, एक है अपना वतन अपने सभी सुख एक हैं अपने सभी ग़म एक हैं आवाज़ दो, आवाज़ दो हम एक हैं, हम एक हैं (आवाज़ दो, आवाज़ दो) (हम एक हैं, हम एक हैं) ये वक़्त खोने का नहीं ये वक़्त सोने का नहीं जागो, वतन ख़तरे में है सारा चमन ख़तरे में है फूलों के चेहरे ज़र्द हैं ज़ुल्फ़ें फ़िज़ा की गर्द है उमडा हुआ तूफ़ान है नर्ग़े में हिंदोस्तान है दुश्मन से नफ़रत फ़र्ज़ है घर की हिफ़ाज़त फ़र्ज़ है बेदार हो, बेदार हो आमादा-ए-पैकार हो (आवाज़ दो, आवाज़ दो) (हम एक हैं, हम एक हैं) ये है हिमाला की ज़मीं ताज-ओ-अजंता की ज़मीं संगम हमारी आन है चित्तौड़ अपनी शान है गुलमर्ग का महका चमन जमना का तट, गोकुल का वन गंगा के धारे अपने हैं ये सब हमारे अपने हैं कह दो, कोई दुश्मन नज़र उठे ना भूले से इधर कह दो के हम बेदार हैं कह दो के हम तैयार हैं (आवाज़ दो, आवाज़ दो) (हम एक हैं, हम एक हैं) उठो, जवानान-ए-वतन बाँधे हुए सर से कफ़न उठो दक्कन की ओर से गंग-ओ-जमन की ओर से पंजाब के दिल से उठो सतलुज के साहिल से उठो महाराष्ट्र की ख़ाक से दिल्ली की अर्ज़-ए-पाक से बंगाल से, गुजरात से कश्मीर के बाग़ात से NEFA से, राजस्थान से कुल ख़ाक-ए-हिंदुस्तान से (आवाज़ दो, आवाज़ दो) (हम एक हैं, हम एक हैं) (हम एक हैं, हम एक हैं) (हम एक हैं, हम एक हैं)
Writer(s): Mohammed Zahur Khayyam, Jan Nisar Akhtar Lyrics powered by www.musixmatch.com
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