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चल ढूँढ लाएँ सारी मासूम सी खुशियाँ चल भूल जाएँ फ़ासले दरमियाँ किसने बनाया दस्तूर ऐसा? जीना सिखाया मजबूर जैसा दिल रो रहा है, दिल है परेशाँ हीर और राँझा के इश्क़ जैसा कहते हैं, "जो पन्ने होते नहीं पूरे करते बहुत कुछ बयाँ" मिल जाऊँगा तुझ से फिर उन किताबों में हो जहाँ ज़िक्र तेरा तू, तू, मैं और तू किसने बनाया दस्तूर ऐसा? जीना सिखाया मजबूर जैसा
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