दुनिया ना माने
हो सकता है, काँटों से भी फूल की ख़ुशबू आए
दुनिया ना माने, दुनिया ना माने
हो सकता है, सागर भी मीठा पानी बन जाए
दुनिया ना माने, दुनिया ना माने
ये दुनिया चंद लकीरें खींचे और चलती जाए
ना माने कभी किसी की, बस अपनी ही मनवाए
हो सकता है, बात पते की पागल भी कह जाए
दुनिया ना माने, दुनिया ना माने
गिरते को सबने देखा पर किसने दिया सहारा?
चमके तो तारा माने और टूटे तो अंगारा
हो सकता है, अंगारा एक दिन शबनम बन जाए
दुनिया ना माने, दुनिया ना माने
हो सकता है, काँटों से भी फूल की ख़ुशबू आए
दुनिया ना माने, दुनिया ना माने
हो सकता है, सागर भी मीठा पानी बन जाए
दुनिया ना माने, दुनिया ना माने