Lyrics
एक ज़माने में ख़ुशी थी
एक ज़माने में ये डर है क्यूँ ये बता?
हर तरफ़ था कोहरा-कोहरा
हर नज़र थी धुँधली-धुँधली क्यूँ ये बता?
क्या कभी तुमने ये है सोचा?
क्या कभी तुमने ये है जाना?
"सूरज क्यूँ है उगता? पानी क्यूँ है बहता?
पंछी क्यूँ हैं उड़ते? पर्वत क्यूँ हैं झुकते?
आँसू क्यूँ हैं गिरते? ज़ख़्म क्यूँ हैं मिलते?
ये दुनिया है सोई, इसको जगाऊँ कैसे?"
एक तरफ़ है हर ख़ुशी
और एक तरफ़ है कुछ नहीं ये क्यूँ ये बता?
लोग हैं गुमसुम यहाँ
और सूनी-सूनी गलियाँ हैं क्यूँ ये बता?
दिन के बाद आती है रात
और रात में होता है अँधेरा क्यूँ ये बता?
आग से होती तबाही
पर उसी को पूजते हैं क्यूँ ये बता?
क्या कभी तुमने ये है सोचा?
क्या कभी तुमने ये है जाना?
"पत्ते क्यूँ हैं झड़ते? बादल क्यूँ हैं लड़ते?
बारिश क्यूँ है होती? ज़िंदगी क्यूँ छोटी?
साँसें क्यूँ हैं रुकती? नब्ज़ क्यूँ हैं थमती?
इंसाँ क्यूँ हैं मरते? ये मैं जानूँ कैसे?"
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