Lyrics

Silent era और talkie फ़िल्मों की शुरुवाती दौर में एक ऐसा माहौल था जिसमें औरतों का फ़िल्मों में होना नामुमकिन सी बात थी तवायफ़ें भी फ़िल्म में काम करने से कतराती थीं इसलिए इस दौर के संगीतकारों की बात Saraswati Devi और Jaddanbai के बग़ैर अधूरी है Saraswati Devi यानी Khorshed Homji उन्होंने १९३४ की फ़िल्म "जवानी की हवा" में पहली बार संगीत दिया (कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा) उनके संगीत में १९३६ में आई फ़िल्म "जीवन नैया" Ashok Kumar की पहली फ़िल्म थी बहुत कम लोग ये जानते हैं कि इस फ़िल्म में Ashok Kumar का गाया एक गीत १९६१ में फ़िल्म "झुमरू" में उनके ही भाई Kishore Kumar ने धुन और बोल क़ायम रख दोबारा पेश किया था (कोई हमारा ना रहा) कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा हम किसी के ना रहे, कोई हमारा ना रहा कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा शाम तनहाई की है, आएगी मंज़िल कैसे? शाम तनहाई की है, आएगी मंज़िल कैसे? जो मुझे राह दिखाए वही तारा ना रहा कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा ऐ, नज़ारों, ना हँसो, मिल ना सकूँगा तुमसे ऐ, नज़ारों, ना हँसो, मिल ना सकूँगा तुमसे वो मेरे हो ना सके, मैं भी तुम्हारा ना रहा कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा क्या बताऊँ, मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ क्या बताऊँ, मैं कहाँ यूँ ही चला जाता हूँ जो मुझे फिर से बुला ले, वो इशारा ना रहा कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा हम किसी के ना रहे, कोई हमारा ना रहा
Writer(s): Kishore Kumar, Majrooh Sultanpuri Lyrics powered by www.musixmatch.com
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