Lyrics

हल्दी का रंग चढ़ा के, और ढेरों सपने सजा के देखे है राँझा तेरा ख़्वाब ओ, ख़ुशियों को संग समेटे, तेरी ही राह निहारे होता है दिल ये बेक़रार दुनिया को पीछे छोड़े, रस्मों को संग समेटे करता है तेरा इंतज़ार हो, सर अपने ताज चढ़ा के शाही सा पटका ओढ़े तेरी चौखट पे है खड़ा डोली में बिठा के, संग अपने ले जाने आया है राँझा ये तेरा हो, डोली में बिठा के, संग अपने ले जाने आया है राँझा ये तेरा शाम ना सवेरे का ख़याल अब रहा हर पहर में दिखता तू ही है हो, मेरी लकीरों में जो भी था, सब मिला तुझसे मिलन बस बाक़ी है ना कटते अब दिन हैं, सताती ये रातें होता ना हमसे इंतज़ार डोली में बिठा के, संग अपने ले जाने आया है राँझा ये तेरा हो, डोली में बिठा के, संग अपने ले जाने आया है राँझा ये तेरा (राँझणा) डोली में बिठा के, संग अपने ले जाने आया है राँझा ये तेरा डोली में बिठा के, संग अपने ले जाने आया है राँझा ये तेरा
Writer(s): Navneet Atul Lyrics powered by www.musixmatch.com
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