Lyrics

बैठी हूँ बनके किसी की, पर मुझे आदत तेरी ही कोशिश काफ़ी उसने की, पर मेरी झूठी है हँसी अगर तुम होते तो पढ़ लेते आँखें मेरी ही हाँ, शर्मिंदा हूँ मैं, मुझे ज़रूरत तेरी क्या तुम भी सोचते हो मेरे बारे में भी? यहाँ आओ, उठा के लेके जाओ मुझे अभी झगड़े होते थे हमारे बीच फिर मुझे मना लेते बाँहों में खींच अब भी है तुझमें ख़ुदगर्ज़ी कभी नहीं पूछी मेरी मर्ज़ी तूने माँगा मेरा हाथ है पर ज़िंदगी बिताने क्या आदत बस है? जिस्मों का खेल बुझ जाएगा ये जो आग लगी है, कौन बुझाएगा? बैठी हूँ बनके किसी की, पर मुझे आदत तेरी ही कोशिश काफ़ी उसने की, पर मेरी झूठी है हँसी अगर तुम होते तो पढ़ लेते आँखें मेरी ही हाँ, शर्मिंदा हूँ मैं, मुझे ज़रूरत तेरी क्या तुम भी सोचते हो मेरे बारे में भी? यहाँ आओ, उठा के लेके जाओ मुझे अभी (अभी-भी-अभी-अभी-भी-भी-भी) ओ, सोचूँ मैं भी, ये तो ग़लत है ग़लतियों की मुझको तो आदत है तेरी एक ही झलक है पागल कर देगी मुझे ये लत है तेरे-मेरे बीच की ये बातें हैं मुझसे आ रही ये आवाज़ें हैं याद होगा तुमको, भूले नहीं बैठी हूँ बनके किसी की, पर मुझे आदत तेरी ही कोशिश काफ़ी उसने की, पर मेरी झूठी है हँसी अगर तुम होते तो पढ़ लेते आँखें मेरी ही हाँ, शर्मिंदा हूँ मैं, मुझे ज़रूरत तेरी क्या तुम भी सोचते हो मेरे बारे में भी? यहाँ आओ, उठा के लेके जाओ मुझे अभी आदत तेरी ही, आदत, आदत तेरी ही बैठी हूँ बनके किसी की (ayy, ayy, ayy, ayy) आदत तेरी ही, आदत, आदत, आदत बैठी हूँ बनके किसी की (ayy, ayy, ayy, ayy) आदत तेरी ही, आदत, आदत, आदत
Lyrics powered by www.musixmatch.com
instagramSharePathic_arrow_out