Top Songs By Gulzar
Credits
PERFORMING ARTISTS
Gulzar
Performer
Saurabh Dixit
Performer
Mark K Robin
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Gulzar
Lyrics
Mark K Robin
Composer
Lyrics
मेरा एक ख़्वाब था
नज़्में मेरी उजाले देखे सुबह के
मगर इस ज़िन्दगी की शाम में
ये जानकर जो नज़्में मेरी रग-ओ-जां में बहती थीं
तुम्हारी ऊँगलियों पर अब उतरने लग गई हैं
तसल्ली हो गई है
मैं जाते-जाते क्या देता तुम्हें सिवा अल्फ़ाज़ के?
मगर इतनी सी ख़्वाहिश है
कि मेरे बाद भी पिरोते रहना तुम
अल्फ़ाज़ की लड़ियाँ
तुम्हारी अपनी नज़्मों में
Writer(s): Mark K Robin
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