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रत्नसानुशरासनं रजताद्रिशृङ्गनिकेतनं सिञ्जिनीकृत पन्नगेश्वरमच्युतानन सायकम् क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदिवालयैरभिवन्दितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः पञ्चपादप पुष्पगन्ध पदांबुजद्वय शोभितं भाललोचन जातपावक दग्धमन्मथविग्रहम् भस्मदिग्धकलेबरं भव नाशनं भवमव्ययं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् मत्तवारण मुख्यचर्मकॄतोत्तरीय मनोहरं पङ्कजासन पद्मलोचन पूजितांघ्रिसरोरुहम् देवसिन्धुतरङ्गसीकर सिक्तशुभ्रजटाधरं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः यक्षराजसखं भगाक्षहरं भुजङ्गविभूषणं शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम् क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम् अन्धकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं दक्षयज्ञविनाशनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम् भुक्तिमुक्तिफलप्रदं सकलाघसङ्घनिबर्हणं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम् भक्तवत्सलमर्चितं निधिमक्षयं हरिदम्बरं सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनुत्तमम् सोमवारिदभूहुताशनसोमपानिलखाकृतिं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं संहरन्तमथ प्रपञ्चमशेषलोकनिवासिनम् क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमन्वितं चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यमः चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहिमाम् चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर रक्षमाम्
Writer(s): Devassy Stephen Lyrics powered by www.musixmatch.com
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