मेरी दुनिया है तुझमें कहीं
तेरे बिन मैं क्या? कुछ भी नहीं
मेरी जान में तेरी जान है, ओ, साथी मेरे
मेरी दुनिया है तुझमें कहीं
तेरे बिन मैं क्या? कुछ भी नहीं
मेरी जान में तेरी जान है, ओ, साथी मेरे
मेरी दुनिया है तुझमें कहीं
तेरे बिन मैं क्या? कुछ भी नहीं
पलकों में तेरे रूप का सपना सजा लिया
पहली नज़र में ही तुझे अपना बना लिया
है यही आरज़ू
हर घड़ी बैठी रहो मेरे सामने
मेरी दुनिया है तुझमें कहीं
तेरे बिन मैं क्या? कुछ भी नहीं
ऐसा लगा, मेरे सनम, हम जो यहाँ मिले
सहरा में जैसे शबनमी चाहत के गुल खिले
ये जमीं, आसमाँ
कह रहे, "हम तो कभी ना होंगे जुदा"
मेरी दुनिया है तुझमें कहीं
तेरे बिन मैं क्या? कुछ भी नहीं
मेरी जान में तेरी जान है, ओ, साथी मेरे
मेरी दुनिया है तुझमें कहीं
तेरे बिन मैं क्या? कुछ भी नहीं