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Credits
PERFORMING ARTISTS
Chandan Dass
Performer
COMPOSITION & LYRICS
Chandan Dass
Composer
Doctor Bashir Badr
Songwriter
Lyrics
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं
कहाँ दिन गुज़ारा, कहाँ रात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
उजालों की परियाँ नहाने लगीं
उजालों की परियाँ नहाने लगीं
नदी गुनगुनाई ख़यालात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई
ज़बाँ सब समझते हैं जज़्बात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
सितारों को शायद ख़बर ही नहीं
सितारों को शायद ख़बर ही नहीं
मुसाफ़िर ने जाने कहाँ रात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
ना जी-भर के देखा, ना कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की
Writer(s): Chandan Dass, Bashir Badra
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