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Harass
Harass
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COMPOSITION & LYRICS
Harass
Harass
Lyrics
PRODUCTION & ENGINEERING
Laudrup
Laudrup
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Lyrics

तस्वीर में वीर, हूँ मैं हुनर में अहले तहज़ीब जो सब है सबर में नज़रें ये पीर, मृगतृष्णा ये चश्में सच के करीब, ना किसीके वश में काश खयालों का भी रोज़ा होता तो ये तर्ज़ मेरा ख़्वाबीदा होता मुस्सविर मिलाता है इल्म को तुझसे वरना सन्नाटा, पीड़ा या कबिरा होगा बड़ी ताक़त के साथ मिलती है ऊँची ये ज़िम्मेवारी मुकर्रर इन आँखों ने सबकुछ यहाँ पर देखा होगा देखे मुर्दों पर मुर्दे फूल, मुर्दे फूल अकल पर धूल, अकल पर धूल और चुनौतियों ने बढ़ा रखा है तापमान कई मुअज़्ज़ाम हो जाते यहाँ मिसमार निग़ाहें ढूंढ़ती कहाँ ख़ुदा का है मकान फरमान, सबके हिस्से का है ये आसमान जहाँ सभी के घर होते हैं शीशे के वहाँ दूर रखते हैं पत्थर चिरागों से क़ैद है क़िस्मत तो अपनी ताबीजों में दुआएँ क़बूल होतीं बस भौतिक चीजों में और देख पाते सड़क से इमारत को पर इमारत को सड़क की ज़रा भी भनक नहीं पढ़ते मसीहा यहाँ रोज़ फ़तिहा सबकी इंसान हैं तू, तो ता ना बन फेका है धूल उसने गुज़रगाह पर तेरे रेगिस्तान में जो चमके वो पानी ना बन दिए को भूल, लौह को तू देख प्यासे हिरण की यहाँ कहानी ना बन केहता जो तोड़कर जोड़े वो रविश अलग है पर बिखरे को समेटे वो परवाज़ हूँ मैं नायाब, रूबाब, आग़ाज़ हूँ मैं जिसपे पड़ी यशु की कदमें उन लहरों की आवाज़ हूँ मैं एक शाही अंदाज़ हूँ ख़ुदसे कहता क्या? रियाज़ हूँ मैं कैसा अल्फ़ाज़ हूँ मैं? तस्वीर में वीर मृगतृष्णा
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